Wednesday, January 9, 2019

Yet another Mewar Ramayana : An illustrated Dispersed Mewari Ramayana Manuscript

   
       
महाराणा अमरसिंह (द्वितीय) वर्षा ऋतु का आनंद लेते
(Freer scakler gallery)

          महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय का जन्म 21 मार्च, 1690 मेंं हुआ था। इनका राज्याभिषेक 10 डिसम्बर, 1710 में हुआ था। उनके पिता महाराणा अमरसिंह थे।

  महाराणा संग्रामसिंह जयपुर के राजा जयसिंह के साथ
           (National gallery of Victoria)

संग्रामसिंह जी राज्यारोहण पर जयपुर के राजा जयसिंह भी उपस्थित थे। इन्हीं महाराणा ने ईडर को भी जीता था। इन्हीं महाराणा ने मराठों से मेलजोल करने के लिए छत्रपति शाहू के दरबार में दूत भेजा था।

 
           संग्रामसिंहजी नाहरमगरे में शिकार पर।
         (Metropolitan museum of art)
   
         संग्रामसिंहजी ने नाहरमगरे का महल, उदयसागर के पास शिकारमहल, उदयपुर में चीनी चित्रशाला, सहेलियों की बाडी, अगड़ और त्रिपोलिया बनवाया था।


             संग्रामसिंहजी पुत्र के साथ शिवपूजा करते
          (National gallery of Victoria)

इन्होंने दक्षिणमूर्ति और वैद्यनाथ शिवालय बनवाया था और जगदीश मंदिर का जिर्णोद्धार कराया था।


        महाराणा संग्राम सिंह अपने पुत्रों के साथ
                (Philadelphia museum)

इनकी मृत्यु 11 जनवरी, 1734 को हुई थी। जैसा ओझाजी का मत है कि बापा रावल की गद्दी का गौरव संभालने वाले अंतिम राजा थे। उनके बाद उनके पुत्र जगतसिंह गद्दी पर बैठे।
 
                              *  *  *

     गीतगोविंद का चित्र, संस्कृत श्लोक और मेवाडी                           भाषानुवाद के साथ
                 (Brooklyn Museum)

     महाराणा संग्रामसिंहजी के कार्यकाल का सर्वप्रथम  चित्रित ग्रंथ सन 1712 का वाल्मीकि रामायण का बालकाण्ड है। यह प्रति वर्तमान समय में ब्रिटिश लाईब्रेरी में संग्रहित है। इनके समय का अन्य महत्वपूर्ण चित्रित ग्रंथ सन 1714 का गीतगोविंद है। इस में 272 चित्र थे उनमेंसे चित्रसंख्या 101 से 200 चोरी हो गई जो अब विभिन्न संग्रहालय में है शेष ग्रंथ उदयपुर संग्रहालय में है।
इस गीतगोविन्द में संस्कृत के साथ मेवाडी भाषा की व्याख्या भी है।

गजसिंह, शकुनावली ग्रंथ से
(San Diego museum of Art)

    इसके अलावा बिहारी का सतसई, सुंदरकवि का सुंदरशृंगार (234 चित्र), गजचिकित्सा (139 चित्र) और सौंदर्यलहरी जैसे ग्रंथ चित्रित किये गए थे। इसी महाराणा ने वेदो के चार चित्र और शिवपूजा ग्रंथ का चित्रण करवाया था जो आज उदयपुर महल के संग्रह में है। इन्हीं महाराणा के समय में कामशास्त्र पर आधारित चित्र शृंखला बनायी गयी थी जिसमें कम से कम 73 चित्र है। इस समय का सबसे महत्त्वपूर्ण सचित्र ग्रंथ शकुनावली है जिसमें 106 चित्र थे।

               पूतनावघ, दशमस्कंध का चित्र
                   (British museum)

    इसके अलावा कृष्ण जीवन पर भी ग्रंथ लिखे गए जैसे सूरसागर, कृष्ण अवतार चरित्र (142 चित्र) और कृष्ण लीला चरित्र (328 चित्र)। इन्हीं महाराणा संग्रामसिंह के राज्याश्रय में सचित्र मेवाड़ी दशमस्कंध की चित्रण हुआ था।

                           *    *    *
        बालकाण्ड            - 253  चित्र
        अयोध्याकांड        - 181  चित्र
        वनकांड              - 117   चित्र
        किष्किंधाकांड      -  82 चित्र
        सुंदरकांड            - अज्ञात
        युद्धकांड             - अज्ञात
        उत्तरकांड            - 279 चित्र
           
       इस तरह रामायण के 912 चित्र है।
       
                           *   *    *

            Balakanda - Book of Youth
     बालकाण्ड - रामजन्म से रामविवाह तक का वर्णन
Folio 1 Of Balakanda - Ganesha with his wife. (Art Market)

मेवाड़ रामायण का सर्वप्रथम पृष्ठ जिसमें प्रथमपूज्य एकदंत गणेशजी को दर्शाया किया गया है। यहाँ गणेशजी को अक्षमाला, परशु, मोदक और मूषक के साथ चित्रित किया गया है। इसमें गणेशजी की दोनों पत्नियों और चामरग्राहिणी को भी चित्रित किया गया है।


Folio 2 - Rama and Ravana. (Art Market)

रामायण का दूसरा पृष्ठ जिसमें महाकाव्य के नायक और प्रतिनायक रावण का चित्रांकन किया गया है। एक दिन वाल्मीकि नारद को पूछते है, सत्यवादी, विद्वान और प्रियदर्शन पुरुष कौन हैं। नारद उन्हें कौशल्या और दशरथ पुत्र राम के बारे में बताते है। चित्रकार ने यहाँ राम के साथ रावण को भी चित्रित किया है।


Folio 4 - Conversation of Narada and Valmiki. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में नारद और वाल्मीकि रामायण पर चर्चा कर रहे हैं। यहां पर लक्ष्मी, नारायण और अन्य देवगण भी है।


Folio 11 - Brahma comes at hemitage of valmiki.  (Art Market)

प्रस्तुत चित्र क्रौंच वध के बाद का है जहां वाल्मीकि और उनके शिष्य भारद्वाज ऋषि आश्रम लोटाते है और तभी वहां ब्रह्मा आते हैं। ऋषि वाल्मीकि उनका आश्रम में स्वागत करते हैं।


Folio 19 - Narada tell to Valmiki about sundara-kanda. (Art Market)

ब्रह्मा वाल्मीकि को रामचरित सुनाते हैं जहां हनुमान  लंका जाते है। इस चित्र मे हनुमान समुद्र उल्लघंन कर लंका की अशोकवाटिका मे सीता को राम का संदेश सुनाते हैं।


Folio 21 - Narada tell about Lanka-kanda episode. (Art Market)

 ब्रह्मा वाल्मीकि को शेष रामचरित सुनाते हैं। चित्रकार रावणवध, विभीषण का  राज्याभिषेक,  सीता की अग्निपरीक्षा, सीताजी द्वारा ऋषि वाल्मीकि आश्रम मे लव-कुश जन्म देना और शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर की मृत्यु को चित्रित किया गया है।


Folio 26 - Sumantra narrate story of Lomapada to Dasaratha. (Art Market)

प्रधान सुमंत्र दशरथ को ऋषिश्रङ्ग की कथा सुनाते है कि अङ्गदेश मे अनावृष्टि के कारण ऋषिगण राजा लोमपाद को ऋषिश्रङ्ग से उनकी पुत्री के विवाह करने की सलाह देते हैं।


   Folio 32 - Rishishringa entice by girls.
                        (Art Market)

ऋषिश्रङ्ग गणिकाएं से मिलते हैं। जब उनके पिता विभांडक इसके बारे मे पूछते है तो वह भय के कारण कुछ नहीं बोलते। यहा मे बाग के हाथी से युक्त फवारे चित्रित किये गए हैं। 


    Folio 34 - Lomapada welcome Sage          Rishishringa. (Art Market)

गणिकाओं द्वारा लुभाए गये ऋषिश्रङ्ग अंगदेश आते है जिससे वहां वर्षा होती हैं और राजा लोमपाद उनका स्वागत करते हैं। चित्र के उपरी भाग में ऋषि गणिकाओं के साथ बैठे हैं। नीचे अंगराज ऋषि का स्वागत करते हैं। चित्रकार ने यहाँ राजप्रासाद, शिवमंदिर, बाजार और वर्षा का चित्रांकन किया है।


Folio 47 - Dasaratha workship sages   Vasishta, Jabali and Vamdeva. 
(Art Market)

 राजा दशरथ ऋषियों की सलाह पर अश्वमेघ यज्ञ का निर्णय करते हैं। प्रस्तुत चित्र में राजा दशरथ ऋषिगण वशिष्ठ, वामदेव और जाबालि की पूजा करते हुए चित्रित किया गया है। यहाँ अश्व को भी चित्रित किया गया है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि उपर के पाठ्यलेख में कुछ अपूर्ण वाक्य भी है जो संभवत इंगित करते है कि मूल पुस्तक मे यह पाठ्यलेख अपूर्ण होगा सो अनुवादक ने भी पाठ्यलेख की जगा छोड दिएँ।



Folio 78 - Vibhandaka meet Dasaratha.
(Jaipur museum)

ऋषि विभांडक अपने पुत्र का समाचार सुन हर्षित होते है।


Folio 9_ - Rama and Lakshmana pay homage to Dasaratha before they leave.
(Art Market)

ऋषि वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ अपने पुत्र राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजने को तैयार हो जातें है। प्रस्तुत चित्र में राजा दशरथ को सभा मे न चित्रित कर शमियाना मे दिखाया गया है। यहां राम-लक्ष्मण दो बार चित्रित किया गया है, प्रथम जहां वे दशरथ का निर्णय सुनते हैं और दूसरी बार उनकी आज्ञा लेते। इसके अलावा वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि ऋषिगण और आकाश में देवताओं को चित्रित किया गया है।


Folio 95 - Visvamitra tell about forest that here Indra kill Vritrasura.
(Kanoria collection, Patna)

विश्वामित्र राम-लक्ष्मण को बताते है कि इस भयानक वन में इंद्र ने वृत्रासुर का संहार किया जिससे उनहे ब्रह्महत्या लगीं और फिर राम-लक्ष्मण ब्रह्मसरोवर मे स्नान करतें हैं। यहाँ चित्रकार ने वन जाते विश्वामित्र का चित्रण किया है साथ ही साथ वृत्रासुर वध भी दर्शाया है। यहां राम-लक्ष्मण को आश्रम निकट ब्रह्मसरोवर मे स्नान करते चित्रित कीया हैं।


Folio 100 - Brahma give daughter to suketu and suketu give her to Sunda.
(Kanoria collection, Patna)

विश्वामित्र ताडका-जन्म कथा कहते हैं कि यक्ष सुकेतु पुत्रकामना के लिए तपस्या करते हैं, जिसके फलस्वरूप ब्रह्मा उन्हें पुत्री रुप मे ताटका देते हैं। (नीचे) 
समय होने पर सुकेतु ताटका का विवाह सुन्द से कर देते हैं। (ऊपर) यहां पर चित्रकार ने कृष्णमृग, सिंह, हाथी और सरोवर का भी चित्रण किया है।


Folio 103 - Visvamitra tell that Vishnu kill wife of Bhrigu and Indra kill Manthra, Daughter of Bali. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र विश्वामित्र के उपदेश पर है जो राम को बताते हैं लोगों को परेशान करनेवाली बलीपुत्री मंथरा को इंद्र ने मार दिया था (नीचे) भगवान विष्णु ने भी भृगुपत्नी और काव्यमाता की हत्या किए थीं। (ऊपर) हालांकि यहा विष्णु राक्षस को मार रहे हैं।


Folio 104 - Rama attack on Tadaka.
(Walters art museum)

 प्रस्तुत चित्र मे राम राक्षसी ताडका पर प्रहार करते चित्रित किया गया है।


Folio 105 ? - Viswamitra huge rama and lakshman after death of Taraka.
(Jnana-pravah collection)


Folio 106-7 - viswamitra explain about sound which come from river ganga.
(Government museum, Ajmer)


Folio 108 - Rama learn about weaponry-art. (Jaipur museum)

 विश्वामित्र राम को दिव्यास्त्र का ज्ञान देते हैं तब दिव्यास्त्र आकर राम को प्रणाम करते हैं। (ऊपर) राम के कहेने पर विश्वामित्र संहारविधि भी सिखातें है। (नीचे)


Folio unknown - Rama ask viswamitra about demons.
 (Jnana-pravaha collection)


Folio 118 - Rishi pay homage to Rama and Lakshmana after they killing demon Subahu. (Jaipur museum)

प्रस्तुत चित्र में विश्वामित्र के यज्ञ पर आक्रमण करनेवाले असुरों राम-लक्ष्मण संहार करते है और यज्ञसमाप्ति पर ऋषिगण राम की पूजा करते चित्रित किया है। यहाँ आश्रम और सूर्योदय का अद्भुत द्रश्य दिखाया गया है।


Folio 119 - Rama and Lakshman pay homage to vishwamitra.
(Kapoor galleries)

 राम और लक्ष्मण विश्वामित्र को प्रणाम करते हैं और विश्वामित्र उन्हें बताते हैं कि वे अब जनक के यज्ञ में जाएंगे।


Folio 123 - Rama, Lakshmana and Visvamitra rest at Gaya.
(San Diego museum of art)

 प्रस्तुत चित्र में विश्वामित्र मिथिला जाते हुए शोणनदी के तट पर विश्राम करते हैं और कुशनाभ की कथा सुनाते हैं।


Folio 134 - Rama, Lakshman and viswamitra on the way of mithila.
(Jnana pravaha collection)


Folio 135 - Rama and Lakshmana with visvamitra take rest near Ganga.
(Jaipur museum)

प्रस्तुत चित्र में विश्वामित्र गंगातट पर ऋषि के आश्रम आते हैं। राम-लक्ष्मण उन सभी को प्रणाम करते हैं। यहाँ ऋषिवर यज्ञ, ध्यान और शास्त्रार्थ करते चित्रित किया गया है।



Folio 155 - Anshuman visit four elephants during search of his brothers
(Himachal state Museum)


Folio 1_0 - Sagara complete yagna, rule for 30,000 years and reached Heaven.
(Jaipur museum)

 प्रस्तुत चित्र गंगावतरण कथा का भाग हैं जहाँ अंशुमान यज्ञअश्व को पाताल से वापस लाकर पिता सगर का यज्ञ पूर्ण करते हैं। सगर राजा तीस हजार वर्ष शासन कर स्वर्गगमन करते हैं। यहाँ आकाश में तीन विष्णुपार्षद और भव्य महल को चित्रित किया गया है।


Folio 177 - Visvamitra tell how indra liberating from curse. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र अहल्या की कथा का है जहां ऋषि गौतम इंद्र शाप देतें है कि उनके वृषण गिर जाये। इंद्र अग्नि, सिद्धों और चारण से मदद मांगते हैं। अग्नि पितृदेव से विनंति कर उनके बकरे का अंडकोश इंद्र को जोड देते हैं।

Folio 179 - Satananda workship Rama and narrate story of Visvamitra.
(Victoria and Albert museum)

अहल्या के उद्धार के बाद विश्वामित्र मिथिला पहुंचे जहां राजा जनक उनका स्वागत करतें हैं। (नीचे) गौतम ऋषि के पुत्र शतानन्द अपनी माता अहल्या शापमुक्ति से प्रसन्न होकर राम की पूजा करते हैं। (ऊपर) अपनी माता की मुक्ति का कारण विश्वामित्र होने की वजह से शतानन्द विश्वामित्र का चरित्र कहते हैं कि कुशनाभ के पुत्र गाधी और उनके पुत्र विश्वामित्र हुए। (तीनों राजा नीचे)

Folio 192 - Vasishta reduce visvamitra's son into ashes. 
(Art Market)

 प्रस्तुत चित्र विश्वामित्र चरित्र का भाग हैं। विश्वामित्र जो पहले गाधीवंश के राजा थे उन्होंने वशिष्ठ से कामधेनु छीनने का प्रयत्न करते है और कामधेनु उनकी चतुरंगिणी सेना का नाश कर देती हैं। (नीचे)
विश्वामित्र के सो पुत्र क्रोधित होकर वशिष्ठ पर आक्रमण करने का प्रयास करते है पर ऋषि वशिष्ठ हुंकार मात्र से उनका नाश कर देते हैं। (ऊपर उनकी पत्नी के साथ) 
चित्र के ऊपर के कोने में सर्प का चित्रण किया गया है क्योंकि रामायण कहता है कि जैसे बिना दंत का सर्प चला जाता है वैसे ही विश्वामित्र चले गए।

Folio 193 - Visvamitra leave kingdom and gods give him weapons.
(University of Michigan Museum of Art)

प्रस्तुत चित्र विश्वामित्र-चरीत्र का भाग है। पराजित राजा विश्वामित्र अपने पुत्र का राज्याभिषेक कर हिमाचल पर शिवजी की तपस्या कर वरदान में वशिष्ठ हराने के लिए आयुध मांगते हैं। परंतु यहां अज्ञात कारणवश शिव की जगह ब्रह्मा लिखा गया और चित्रकार ने शिव की जगह ब्रह्मा को चित्रित किया।


Folio 199 - Visvamitra and his wife leave for Himalaya. (Art Market)

 विश्वामित्र पुनः पराजित होने पर अपनी पत्नी के साथ तप करने के लिए हिमाचल प्रस्थान करते हैं।

Folio 201 - Raja Trishanku visit Visvamitra (University of Michigan Museum of Art)

 राजा विश्वामित्र देवर्षि और राजर्षि पद से संतुष्ट नहीं थे उन्हें ब्रह्मर्षि पद चाहिए एसलिए वह तपस्या करते हैं कि तभी वहां राजा त्रिशंकु आतें हैं। प्रस्तुत चित्र मे राजा त्रिशंकु का चरित्र चित्रण किया गया है। राजा त्रिशंकु सदेह स्वर्ग जाना चाहते है इसलिए वशिष्ठ से यज्ञ कराने की प्रार्थना करते हैं पर वशिष्ठ उन्हें मना कर दिया। (ऊपर कोने में) त्रिशंकु वशिष्ठ पुत्रों को यज्ञ कराने को कहते हैं पर वह मना कर देते हैं। (नीचे मध्य) जब त्रिशंकु अन्य ऋषि के पास जाने की बात करते हैं तो वशिष्ठ के पुत्र क्रोधित होकर उन्हें चांडाल बनने का श्राप देते हैं। (नीचे कोने में पक्षी को मारते हुए चांडाल)
अंत मे त्रिशंकु विश्वामित्र के पास जाते हैं।

Folio 204 - Visvamitra take decision to perform Yagna of Trishanku.
(University of Michigan Museum of Art)

राजा त्रिशंकु विश्वामित्र को यज्ञ के लिए प्रार्थना करते हैं और दयावान विश्वामित्र उनके प्रस्थाव को स्वीकार करते है और अपने शिष्यों को बुलावा भेजते हैं।

Folio 205 - Vasistha's son refuse to come at Yagna of Trishanku.
(University of Michigan Museum of Art)

ऋषि विश्वामित्र अपने शिष्यों को त्रिशंकु के यज्ञ हेतु सभी ऋषिमुनियों को बुलाने भेजते हैं। सभी ऋषि ने निमंत्रण को स्वीकार किया परंतु वशिष्ठ पुत्रों ने चांडाल के यज्ञ का निमंत्रण नहीं स्वीकारा।

Folio 206 - King Trishanku visit visvamitra. (University of Michigan Museum of Art)

विश्वामित्र वशिष्ठ पुत्रों से क्रोधित होते हैं और अन्य ऋषिगणों को त्रिशंकु के यज्ञ प्रारंभ करने को कहते है।


Folio 207 - Trishanku banished from heaven after his yagna.
(kapoor gallery)

विश्वामित्र त्रिशंकु के लिए यज्ञ करते हैं। सभी देवता यज्ञभाग लेने आते हैं विश्वामित्र उन्हें त्रिशंकु की सदेह स्वर्गगमन की इच्छा बताते। जब वह सदेह स्वर्ग आते है तो इन्द्र उनका तिरस्कार कर उन्हें नीचे धकेल दिया और त्रिशंकु रक्षा के लिए विश्वामित्र की सहायता मांगी।


Folio 212 - sunahsepa ask help to sage viswamitra. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में शुनःशेप विश्वामित्र से सहायता मांगते हैं क्योंकि उनके माता-पिता ने गाय के बदले अपने पुत्र को राजा अंबरीष को बेच दिया।


Apasara come to entice vishwamitra. (Art Market)


Folio 216 - Menaka visit viswamitra
(Art Market)


Folio 225 - King Janaka return to his palace after meeting with vishwamitra. (Art Market)

शतानन्द विश्वामित्र-चरित्र को पूर्ण करते हैं। राजा जनक विश्वामित्र कहते हैं कि राम के गुण और रूप का क्या बखान करुंं। सुर्यास्त के साथ यज्ञ का समय हो चला है इसलिए में प्रस्थान करता हूं।


Folio 237 - Dasaratha pay homage to Visvamitra. (Rob Dean Art)

 राजा दशरथ मिथिला आते है और विश्वामित्र को प्रणाम कर उनका आभार व्यक्त करते हैं। यहां ऋषि वशिष्ठ अपने शिष्य के साथ चित्रित किया गया है (ऊपरी कोना)


Folio 239 - Kusadhwaja visit his brother Janaka. (Art Market)

 राजा जनक यज्ञ के अंत मे राम जैसे जामाता पाकर आनंदित होते हैं। जनक अपनी पुत्री के विवाह समारोह के लिए अपने भाई सांकश्या के राजा कुशध्वज को बुलावा भेजा और कुशध्वज मिथिला आते हैं जहां दोनों भाई गले मिलते हैं।



Folio 242 - Vasistha and Satananda Recount Genealogy of king Dasaratha and Janaka. (Art Market)

 यह रामविवाह के प्रसंग का है जहां जनक अपने वंश का वर्णन करते हैं। जनक राजवंश निमि हुए, उनके पुत्र मिथि हुए और उन्हीं के वंश में जनक और कुशध्वज हुए। विश्वामित्र कुशध्वज की पुत्रीयों का विवाह दशरथपुत्र भरत-शत्रुघ्न से करने का सुझाव देते हैं। प्रस्तुत चित्र में महल के भाग में दशरथ और उनके पुरोहित वशिष्ठ तथा महाराज जनक और उनके पुरोहित शतानन्द चित्रित किया गया है। चित्र के दूसरे हिस्से में निमिवंश के चार राजा निमि, मिथि (यहा मिथिल नाम दिया गया है), जनक और कुशध्वज का चित्रण किया गया है। यहा फवारा भी चित्रित किया गया है। 


Folio 247 - Dasaratha came to zenana.
(Art Market)

यह रामविवाह का चित्र है। दोनों राजवंश के वर्णन के पश्चात दशरथ अपने चारों पुत्रोंं के साथ अंतःपुर (जानीवास) पधारते हैं। प्रस्तुत चित्र में राजा दशरथ पुत्रों के साथ महल लौटते है। चित्र के दूसरे भाग में दशरथ को मंत्री के साथ और चारों भाईयों को विश्वामित्र के साथ दिखाया गया है।


Folio 253 - Parashurama appear before Dasaratha. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र बालकाण्ड के अंत भाग का है जहां दशरथ अपने पुत्रों के विवाह के बाद अयोध्या लोट रहे थे तभी रास्ते मेंं उनका सामना परशुराम से होता है। यहां परशुराम को जटाधारी, परशु, धनुष और तलवार के साथ तेजस्वीरूप मेंं दर्शाया गया है।

* * *
Ayodhyakanda - Book of Ayodhya
अयोध्याकाण्ड - राम वनगमन का वर्णन
(In Mewari, known as Ajodhyakanda)
(मेवाडी भाषा में अजोध्याकाण्ड)


Folio 3 - Bharata and Satrughana come to Kaikeya city.  (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में भरत के साथ शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकयदेश प्रस्थान करते हैं।


Folio 6 - Brahmins teach archery to Bharata and shatrughan. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में ब्राह्मण भरत-शत्रुघ्न को धनुर्विद्या और ज्ञानविद्या सिखाते हैं। भरत उन्हें दान देते हैं और हाथी का आरोहण भी करते है।


       Folio 7 - Bharata said Ashvapati to             arrange Teachers. (Art Market)

    प्रस्तुत चित्र में भरत अपने मातामह अश्वपति से ब्राह्मण को बुलाने को कहते हैं जो उन्हें शिक्षाप्रदान करें। यहाँ अश्वपति लाल रंग के कपडे पहने है। साथ ही चतुरंगिणी सेना को भी चित्रित किया गया है।

     Folio 9 - Ashvapati tell story of Devi.                       (Ducrot collection) 


Folio 10 - Messenger of Bharata and Satrughana went to Ayodhya. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में भरत के मामा अपने दूत को अयोध्या भेजते है। इस चित्र के एक भाग मेंं भरत-शत्रुघ्न अपना संदेश दूत को देते हैं और दूसरे भाग में दूत अयोध्या दशरथ को संदेश देने आते है। बीचोबीच एक बंधा हुआ हाथी भी है।


Folio 1_ - Dasratha hold court to say his decision. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र राजा दशरथ की सभा का है। 


Folio 17 - Dasaratha decide about Rama's Coronation. (Private collection)

प्रस्तुत चित्र में दशरथ अपने पुत्र राम का पट्टाभिषेक करने निर्णय करते हैं। रामायण में दशरथ कहते है कि राम का धैर्य समुद्र के समान और पराक्रम में इन्द्र के समान है इसलिए यहाँ समुद्र और इन्द्र को चित्रित किया गया है।


Folio 17 (?) - Rama take leave after Dasaratha announced about his coronation. (British library ?)

 प्रस्तुत चित्र में राम-लक्ष्मण दशरथ से विदा लेकर अपने महल की ओर प्रस्थान करते हैं। (ऊपर)
कौशल्या सुवर्ण, रत्न और गायों का दान कर रहे हैं। (नीचे)


Folio 22 - Dasaratha ask sumatra to call Rama to his Palace. (Michael C. Carlos museum)

प्रस्तुत चित्र में सुमंत्र राम को दूसरी बार दशरथ के महल ले जाते हैं।


Folio 25 - Vasishta perform rituals before Rama's Coronation. (Art Market)

 राजा दशरथ वशिष्ठ से प्रार्थना करते हैं कि आप जाकर राम को उपवासव्रत करायेंं। वशिष्ठ राम के महल जाकर यज्ञ करवाते हैं।


Folio 17 - Sage vasistha arrive at royal palace. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में राजा दशरथ का स्वागत करते हैं। वह दरबार और जनाने में जाकर शिक्षा देते है।


Folio 28 - Rama and sita workship god Vishnu. (Art Market)

 राम-सीता नारायण की पूजा करते हैं उन्हे हविष्य यज्ञ करते हैं और दर्भ आसन पर ब्रह्मचर्य पालन कर सो जाते है।


Folio 29 - Manthara come to at kaikeyi's chamber. (Art Market)

 कैकेयी की दासी मंथरा को राम के अभिषेक की खबर मिलती हैं और असंतुष्ट मंथरा कैकेयी के महल जाकर उसे राम विरुद्ध भडकाती है।


Folio 35 - kaikeyi ask two boons. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में कैकेयी दशरथ से दो वर मांगती है।


Folio 36 - Dasaratha visit Kaikeyi. 
(Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में दशरथ रुठी हुए कैकेयी को मनाने का प्रयत्न करते हैं।


Folio 3_ (37/38) - kaikeyi recite great battle of sambarasura. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र मेंं कैकेयी दशरथ को शंबरासुर के साथ हुए देवासुर संग्राम की याद दिलाती है।


Folio 39 - Kaikeyi tell about Bali, Sibi & Alarka to Dasaratha for remember his promises. (Cleveland museum of art)

कैकेयी दशरथ को वचन में राम के लिए वनवास मांगती है जिससे राजा दशरथ मूर्छित हो जाते है। तभी कैकेयी उन राजा को याद कराती है जो अपने वचन पर अटल रहे जैसे शिबी, अलर्क (ऊपर की ओर नेत्रदान करते) और बली (जो वामन को भूमिदान करते हैं)।

     Folio 40 - Courtiers prepare rama's                 throne. (Ducrot collection) 


Folio 45 - Rama went with Vasishta to meet Dasaratha (Art Market)

राम सीता की अनुमति लेकर वशिष्ठ के साथ दशरथ के महल को जातें है।


Folio 47 - Rama and Lakshmana visit Dasaratha and kaikeyi. (Art Market)

 राम और लक्ष्मण दशरथ के महल में जाकर दशरथ और कैकेयी को प्रणाम करते हैं।


Folio 51 - Lakshmana became angry like elephant, snake and tiger. 
(Present Location Unknown)

प्रस्तुत चित्र में राम-लक्ष्मण कौशल्या के महल में जाकर कौशल्या और सीता को वनवास की बात करते हैं। लक्ष्मण हाथी, सर्प और सिंह के समान क्रोधित होते हैं।


Folio 52 - Dasratha try to convince kaikeyi (upper) Donation of sita (lower)
(Art Market)


Folio 53 - kaushalya pray for rama.
(Art Market)

प्रस्तुत चित्र में कौशल्या राम को आशीर्वाद देतीं है कि गंधर्व नारद, वृत्रासुर को मारनेवाले इंद्र और विनिता का पुत्र गरुड़ तुम्हारी रक्षा करे।


Folio 56 - Dasratha conversation.
(Rob Dean Art)

राम सीता को वनवास का निर्णय सुनाते हैं। प्रस्तुत चित्र में एक भाग में महल और दूसरी तरफ वन को चित्रित किया गया है।


Folio 58 - Rama arrive at court of Dasarath. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में राम, लक्ष्मण और सीता वनवास जाने से पूर्व उनसे आखिर बार मिलने जाते हैं।


Folio 59 - final meeting (Art Market)


Folio 64 - Rama, Lakshmana and sita departure from Ayodhya.
(Jnana pravah collection)

 प्रस्तुत चित्र में राम-सीता-लक्ष्मण दशरथ और अपनी माता का आशीर्वाद लेकर वनगमन करते हैं। तभी नगरवासी भी राम के साथ जाने की हठ करते हैं।


Folio 66 - Evil omens after Rama leave Ayodhya. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में राम के जाने के बाद दशरथ महल को लौटते हैं। रामायण के अनुसार लोकों बात करते हैं कि राम के जाने के बाद अग्निहोत्र नहीं हो रहे। (नीचे)
गाय ने अपना वत्स त्याग दिया। प्रजा को काम नहीं करती, भोजन नहीं बनाती और पुत्रजन्म से माता हर्षित नहीं होती। (कोने तीन घर) सुर्य अस्ताचल पर जाता है।
गुरु, बुध और शुक्र जैसे ग्रह निस्तेज हुए और चन्द्र पास पहुंचे। (आकाश में चार ग्रह विमान में) त्रिशंकु भी निस्तेज होता है। (आकाश में पित वस्त्र में) दशरथ के दुःख को दर्शाने के लिए भग्नदंत हाथी चित्रित किया गया है और लोग कैकेयी को दोष देते हैं।


Folio 69 - Rama's party went to Forest and peoples of Ayodhya return to city.
(Cincinnati Art Museum)

राम के साथ नगरवासी भी वन में आतें है पर राम-सीता-लक्ष्मण रात के समय सुमंत्र के साथ निकल जाते हैं और नगरवासी अयोध्या लौटते हैं।


Folio 70 - Rama's party cross mountain , forest and river. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र मेंं राम वन, पर्वत और नदी का उल्लंघन कर आगे जाते है।


Folio 73 - Rama's Party welcome by tribal king Guha. (Art Market)

निषादराज गुह राम का स्वागत करते हैं और वहीं रात्रि विश्राम करते हैं। प्रस्तुत चित्र में राम  दो बार दर्शाये गई है। प्रथम जब गुह उनका स्वागत करते और दूसरी बार विश्राम के समय। विश्राम के समय लक्ष्मण और गुह जागकर राम की रक्षा करते हैं। यहां कमलवाला तालाब भी है।


Folio 75 - Rama take bath at ganga.
(Art Market)

प्रस्तुत चित्र में राम गंगा नदी में स्नान कर सो जाते हैं।


Folio 76 - Sumantra return to Ayodhya. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र मेंं सुमंत्र अयोध्या लौटते दर्शाया गया है।


Folio 78 - Rama, Lakshmana and sita take lunch. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र रामायण के बावनवे सर्ग का है जहां लक्ष्मण मृग का शिकार करते हैं तत्पश्चात् राम-लक्ष्मण भोजन करते हैं और वृक्ष के नीचे विश्राम करते हैं।


Folio 79 - Rama and sita sleep.
(Collection of Subhash Kapoor)

 प्रस्तुत चित्र में राम-सीता-लक्ष्मण तीनबार चित्रित किया गया है जब वे रात्रि को विश्राम करते हैं।


Folio 80 - Rama's party come at Hermitage of sage Bharadwaja.
 (Private collection)

 प्रस्तुत चित्र में राम-लक्ष्मण-सीता आगे की यात्रामें गंगास्नान करके ऋषि भरद्वाज के आश्रम जातें है।


Folio 81 - Rama's Party pay homage to sage Bharadwaja. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में राम-सीता और लक्ष्मण ऋषि भरद्वाज के मिलकर उन्हें प्रणाम करते हैं।


Folio 82 - Sage Bharadwaja show way of Chitrakuta. (Art Market)

 ऋषि भरद्वाज राम को कहते हैं कि तीन योजन पर चित्रकूट पर्वत है वहां अनेक वृक्ष, सिंह, मृग, हस्ती और वृक्ष है।



Folio 83 (?) - Rama's party cross Kalindi
(Middlebury College Museum of Art)

 प्रस्तुत चित्र में भरद्वाज के मार्गदर्शन पर राम, लक्ष्मण और सीता बेड़े पर बैठकर यमुना नदी को पार करते हैं।

Folio 84 - on way of chitrakuta. (Art market)


Folio 85 - Rama's Party come to the Mountain Chitrakuta. (Art Market)

राम, लक्ष्मण और सीता चित्रकूट पर्वत पहुंचते हैं।


Folio 88 - Rama's party rest near River Ganga-Yamuna. (Art Market)

राम गंगातट पर आते हैं और अपना दुःख भूल जातें है। सीता विविध पुष्पों के नाम पता करते हैं और लक्ष्मण उन पुष्प को सीता को अर्पित करते हैं।



Folio 89 - Sumantra return to Ayodhya.
(Norton Simon museum)

जब सुमंत्र को पता चला की गुह राम को गंगा पार छोड आये हैं तब वह अयोध्या की ओर प्रस्थान करते हैं।


Folio 103 - sumitra said about Rama that he returned very soon.
(Norton Simon museum)

 प्रस्तुत चित्र सुमित्रा के कथन का है जो कैकेयी से कहती है कि राम जल्द ही वापस आकर राज्य भोगेंगे। सीता भी लक्ष्मी जैसे आनंद करेगी और जैसे मेघ पर्वत पर वर्षा करते हैं वैसे ही राम का अभिषेक होगा। यहां लक्ष्मी भी चित्रित है।


Folio 106 - Dasaratha accidentally kill shravan. (Norton Simon museum)

दशरथ मुनिकुमार के अंधे माता-पिता को मुनिकुमार के शव के पास ले जाते हैं और दोनों सरयू अपने पुत्र को जलांजलि देते पुत्र के गुणों का स्मरण करते हैं जैसे यज्ञ, गोदान, युद्ध, योग और संध्या (नदी का दूसरा भाग) ।
तभी इन्द्र के साथ विमान में बैठकर स्वर्ग जाता मुनिकुमार अपने माता-पिता को भी स्वर्ग आने को कहते हैं। वृद्ध दंपति भी राजा को शाप देकर स्वर्ग जाते है।


Folio 107 - Dasaratha grief after Rama's departure. (Norton Simon museum)

दशरथ कहते हैं कि यमदूत मुझे लैने आ रहे हैं। जैसे मृत व्यक्ति अमृत से जीवित होते है वैसे ही मे राम के स्पर्श से। वह दिन धन्य होगा जब राम लौटेगा। ऐसा कह दशरथ मूर्छित हो जाते हैं।


Folio 108 - Death of Dasaratha.
(Norton Simon museum)

मूर्छित दशरथ के प्राणत्याग कर देते हैं। सुबह बंदीजन प्रशस्ति गान करते है पर वह नहीं उठे। कौशल्या और सुमित्रा जो राजा निकट निद्रावस्था में थीं उन्हें दशरथ की मृत्यु पर हाहाकार करके लोटने लगी जैसे घोडी।


Folio 110 - Brahma teach three Vedas.
(Ducrot collection) 


Folio 114 - Bharata and Satrughana went toward Ayodhya. (Norton Simon museum)

 अयोध्या से दूत कैकेय जाकर भरत और शत्रुघ्न को अयोध्या आने का संदेश देते हैं।



Folio 115 - Bharata rest at camp.
(Norton Simon museum)

 प्रस्तुत चित्र में भरत रात्रि को ग्राम में विश्राम करते हैं।


Folio 116 - Bharata and Satrughana enter in Ayodhya. (Norton Simon museum)

 भरत और शत्रुघ्न अयोध्या में प्रवेश करते हैं।


Folio 119 - Bharata visit his mother kaikeyi. (Norton Simon museum)

 प्रस्तुत चित्र में कैकेयी भरत को दशरथ की मृत्यु के बारे में बताते हैं। भरत कहते हैं तू कैकेयी कैकयराज की नहीं किसी दुष्ट की पुत्री है तू नरकगामी होगी। जब कामधेनु सुरभि ने अपने पुत्रों को किसान द्वारा मारा जाता देख आंख में से अश्रु बहने लगे तब इंद्र ने उन सुरभि को श्रेष्ठ माना अब कौशल्या और सुमित्रा मा का क्या होगा।


Folio 136 - Guha show place to Bharata where rama rest during Night.
 (Michael C. Carlos museum)

गुह भरत को बताते हैं राम यही रुके थे और जटा बांधकर गंगा पार भरद्वाज आश्रम को गए। यह सुनकर भरत मुर्छित हो जाते है। चित्र के ऊपर दशरथ और उनकी पत्नी, नीचे गुहराज, भरत, शत्रुघ्न, वशिष्ठ और तीनों माता है। जब दूसरी तरफ राम को विश्राम करते, जटा बनाते और गंगा पार करते चित्रित किया गया है।


Folio 137 - Bharata and Satrughana make jata. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में गुह वह स्थान दिखाते है जहा राम ने विश्राम किया था। (ऊपरी कोना) भरत भी जटा बनाते हैं।


Folio 142 - Bharadwaja grand welcome to Bharata and Satrughana. 
(Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में भरत और शत्रुघ्न वशिष्ठ मुनि के साथ ऋषि भरद्वाज के आश्रम आते हैं। ऋषि विशाल सेना के सत्कार के लिए विश्वकर्मा का यजन करते हैं। मुनिप्रभाव से पुडंरिका, मिश्रकेशी, अलम्बुषा और वामना अप्सरा भरत के सामने नृत्य करती हैं।


Folio 144 - Bharata introduce Kausalya, sumitra and Kaikeyi to Sage Bharadwaja. (private collection)

 भरद्वाज बताते हैं कि राम चित्रकूट में है। भरद्वाज के पूछने पर भरत राजा दशरथ की तीनों रानीयोंं का परिचय देते हैं।


Folio 145 - Bharata cross river to meet Rama. (Art Market)

 भरत का सैन्य गंगा नदी को पार करते हैं।


Folio 15_ - Bharata's party arrive at chitrakuta. (Rob Dean Art)

 राम-लक्ष्मण-सीता भरत, शत्रुघ्न, वशिष्ठ और तीनों माताओं से मिलते हैं।


Folio 162 - Rama said Bharata about Dasratha's teaching. (Norton Simon museum)

 प्रस्तुत चित्र राम उपदेश का है जब भरत कहते हैं जैसे पिता ने पापरहित यज्ञ और दान किया वैसे ही तुम भी राज्य करो।


Folio 165 - Angry Rama refuse Jabali to return Ayodhya. (Art Market)

 जाबालि का नास्तिक का आश्रय लेकर राम को अयोध्या लोटने को कहते हैं पर राम इस पर क्रोधित होकर कहते हैं कि जैसे गुस्सेल हाथी, पर्वत और तप करते ऋषि अचल है वैसे ही मेरा निर्णय अचल है।
Folio 166 - Rama's Party take bath in river ganga with family. (Art Market)

 प्रस्तुत चित्र राम भरत संवाद का है। राम कहते है तुम क्रोध मत करो। पिताने तुम्हें राज्य दिया है इसलिए तुम तुलना न करो। कौएं और गरूड़ तथा गधे और अश्व में अंतर है। (वृक्ष के पास) सभी सोकर दूसरे दिन गंगा में स्नान करते है।


Folio 180 - Bharata's Party stay at shringvera. (Private collection)

 भरत और उनका सैन्य अंगवेरपुर में विश्राम करते हैं। यहां पार्श्वभूमि में लाल रंग उपयोग किया गया है।


Folio 181 - Bharat come back to Ayodhya. (Art Market)

भरत और उनकी चतुरंगिणी सेना के साथ अयोध्या आते हैं। अयोध्या की स्त्रीयाँ गवाष्प से उन्हें देखते है।


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Vanakanda - Book of Forest
वनकाण्ड - वनवास के समय सीताहरण


Folio 9 - Rama's party visit to sage atri.
Sita tell about her marriage to anasuya.
(Art Market)


     Folio 36  - Shurpanakha visit Rama.
               (Asian Art Museums) 

    राम गोदावरी नदी के तट पर आश्रम बनाकर वहाँ निवास कर रहे हैं के तभी वहाँ राक्षसी शूर्पनखा आती हैं और राम से विवाह की याचना करती हैं पर राम कहते हैं की मैं विवाह हो गया है इसलिए तुम मेरे भाई लक्ष्मण के पास जाओ। प्रस्तुत चित्र में शूर्पनखा सुंदरी बन कर राम से प्रणय याचना करती है। गोदावरी नदी और उसका प्राकृतिक सौंदर्य भी अद्भुत है।


Folio 94 - sages courses Ravana, who abduct sita, that he will be die.
(Ackland Art Museum)

 दशानन रावण सीता छलपूर्वक अपहरण कर लेता है तभी ऋषिवर उन्हें देखकर श्राप देते है जिनका वाहन भेंसा है ऐसे यम के पास जा।


Folio 97 - Ravana with sita enter into lanka. (Present location unknown)

 प्रस्तुत चित्र मेंं रावण सीता का हरण कर लंका में प्रवेश करता है।


Folio 99 - Ravana show garden to sita.
(Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में रावण सीता को अपना महल, वाडी, फव्वारे इत्यादि दिखा रहा है।


Folio 100 - Ravana show his army
(Art Market)

 प्रस्तुत चित्र में रावण सीता को अपना सैन्य दिखा रहा है।


Folio 111 - Rama ask about sita to Mountain and birds. (Met museum)

राम और लक्ष्मण वृक्ष, पंछी और पर्वत को सीता का पता पूछते हैं।


Folio 116 - Vulture Jatayu introduce him to Rama as Friend of Dasaratha and also said about Sita's abduction
 (Zurich museum)

 राम और लक्ष्मण सीता की खोज करते हैं तभी उन्हें पर्वत समान गीध दिखता है इसलिए राम सोचते है कि उसने सीता को खा लिया है। राम उसे गले मिलकर पूछते है कि तुम कौन हो ? तभी जटायु कहता है कि मैं दशरथ का मित्र हूँ। (ऊपरी कोना) वह बताता है कि रावण सीता को ले जा रहा थे तभी मेरा युद्ध हुआ।
प्रस्तुत चित्र नीचे राम-लक्ष्मण के प्रवेश से प्रारंभ होता है। उसके बाद जटायु को देखकर दोनों भाई धनुष बहार निकालते हैं और राम उन्हें गले मिलकर परिचय पूछते है। ऊपर का एक कोना दोनों मित्र दशरथ और जटायु दर्शाता है जबकि दूसरा कोने मे सीता को ले जाता रावण को चित्रण किया है।


Folio 117 - Jatayu said that he destroy chariot of Ravana and kill his Charioteer but failed to save sita.
(Los Angeles county museum of Art)

 प्रस्तुत चित्र में जटायु राम को बताते हैं मैंने रावण का रथ, धनुष, छत्र, सारथी और षर को नष्टभष्ट कर देते हैं। यहां पर भी मध्य में सीताहरण चित्रित किया गया है।
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Kiskindhakanda - Book of Kiskindha
किष्किंधाकाण्ड - किष्किंधा का वर्णन

Following incomplete painting made after original series.


Folio 20 - Rama meet Hanuman


Folio probably 37 - sugriva challenge his brother vali.


Folio 38 - Death of vali.


Folio 44 - sugriva enjoying in court.


Folio 63 - lakshman come to court.


Folio 6_ - lakshman come to kiskindha.


Folio 6_ - angad welcome lakshman.


Folio 73 - Sugriva tell about viswamitra entice by Dhrichati.


Folio 7_ - sugriva tell about ravana.


Folio 7_ - monkeys come at kiskindha.


Folio 77 - lakshman talk to sugriva.


Folio 78 - sugriva went to meet rama.


Folio 79 - sugriva come to meet rama.


Folio 81 - Rama and sugriva discuss.


Folio 82 - sugriva send monkeys to search sita.


Lakshmana visit sugriva
(Allahabad museum)

प्रस्तुत चित्र किष्किन्धा काण्ड का है। वर्षा के बाद भी सुग्रीव सीता खोज का प्रयत्न नहीं करते इसलिए लक्ष्मण किष्किंधा जाकर सुग्रीव से मिलते है और उन्हें समझाते हैं। सुग्रीव भी उनकी सलाह मानकर राम से मिलते है।

किष्किंधाकाण्ड का एक चित्र भारत कला भवन (वाराणसी) में है।

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Uttarakand - Book of later life
उत्तर काण्ड - राम का उत्तर जीवन


Folio 279 - Rama's final journey to river satayu. (Art Market)

प्रस्तुत चित्र में अयोध्या की सारी प्रजा राम के साथ सरयु नदी पर जाते है।