Monday, March 11, 2019

Palam Bhagavata Purana : An Early Illustrated Life Of Krishna

                      
                      * परिचय *

     भागवत पुराण भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। तथापि "दशमस्कंध" को भागवत का ह्रदय माना जाता है। इसी ग्रंथ के "दशमस्कंध" को १६वीं शताब्दी में चित्रित किया गया था। कृष्ण के चरित्र की सबसे प्राचीनतम सचित्र प्रति यही "दशमस्कंध" है जिनको भारतीय कलाविद 'पालाम भागवत पुराण' नाम से जानते हैं। इस के चित्र विश्व के विभिन्न संग्रहालय में पाये जातें है। भारत की प्राचीनतम कला प्रणाली जिसे 'चौरपंचाशिका चित्रपरंपरा' कहा जाता है यह ग्रंथ इसी शैली में चित्रित किया गया है। यह सचित्र ग्रंथ हैदराबाद के वैष्णव से प्राप्त हुआ था।

            
            * स्थल और आश्रयदाता *

     कार्ल खंडालावाला और जगदीश मित्तल के अनुसार जयपुर के रामगोपाल विजयवर्गीय के संग्रह में एक पृष्ठ पर "पालाम नगर मध्ये" लिखा हुआ था। इसीलिए यह एक धारणा है कि संभवत यह ग्रंथ पालाम में बनाया गया था हालांकि जयपुर का पृष्ठ अब उपस्थित नहीं है। पालाम (वर्तमान दिल्ली) एक चित्र केन्द्र था क्योंकि सन् १५४० में यहां जैन महापुराण की सचित्र प्रति बनायी गयी थी। हालांकि एक ओर मान्यता के अनुसार यह ग्रंथ मेवाड़ में (संभवतः महाराणा सांगा के राज्यकाल में) बनवाया गया था। (ज्होन सैलर) यह अवधारणा उस चित्र से शुरू हुए जो चौरपंचाशिका शैली में 'भैरवी रागिनी' दर्शाती है। इसके अलावा गीतगोविंद भी है जो छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय में है जो कि संभवतः मेवाड़ हैं। (एंड्रो टॉफ्सपिल्ड) हालांकि तीसरी अवधारणा दिल्ली-आग्रा अर्थात् मथुरा को ग्रंथ निर्माण का स्थान माना गया है जो कि संभवतः वैष्णव सम्प्रदाय के वल्लभाचार्य अथवा उनके पुत्र विठ्ठलनाथ के लिए बनवाया गया होगा। (बी. एन. गोस्वामी) हालांकि चौरपंचाशिका शैली पश्चिमोत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पायीं जाती है जैसे की स्टेट म्यूजियम, सिमला की देवीमाहात्मय की प्रति।


                       * समय *


       पालम भागवत पुराण के समय पर कलाविदों के विभिन्न मत है। जैसे कि,


    कार्ल खंडालावाला और मोती चंद्रा- १५२५ से १५७०

    जगदीश मित्तल - १५४१ से १५४२ 
    एस. सी. वेलच - १५२५ 
    मिलो बिच - १५४० 
    ज्होन सैलर - १५२५
    हर्षा दहेजिया - १५४० 

    हालांकि पालम भागवत पुराण आरंभिक समय सन् १५१६ के आरण्यपर्व के बाद का है और अंतिम समय पालाम के जैन महापुराण के सन् १५४० आसपास का है। इसलिए "पालाम भागवत पुराण" का समय सन् १५१६ से १५४० के बीच कि रहा होगा।

         
                          * शैली *


   
            आरण्यपर्व और महापुराण का चित्र
    
      पालाम भागवत पुराण चौरपंचाशिका शैली में है परंतु यह चित्र शैली भी अपने आपमें दो विभिन्न स्वरूप में प्राप्त होती है। प्रथम दोर जिसमें आरण्यपर्व, पालम भागवत, और जैन महापुराण के चित्र आता है।






    इसरदा भागवत का तूतीनामा से साम्य


           * पालम और इसरदा भागवत *

   
        चौरपंचाशिका शैली में दो भागवत का निर्माण हुआ है। पालम भागवत पुराण संस्कृत ग्रंथ के रुप में तैयार किया गया है जबकि इसरदा भागवत एक एल्बम के तौर पर तैयार किया गया था। इसरदा भागवत का सचित्र पृष्ठ संस्कृत एक श्लोक और अपभ्रंश भाषा में चित्रप्रसंग लिखा जाता है। इसरदा भागवत में संस्कृत पाठ्यलेख नहीं है।


   
      कृष्ण प्रागट्य का चित्र (इसरदा भागवत)

      इसरदा भागवत का प्रभाव मुगल चित्रकारी के आरंभिक काल पडा जैसे कि हम्जानामा, तूतीनामा और तीलस्मान। इसरदा भागवत में केवल पूर्वाध अर्थात् कृष्ण जन्म से लेकर कंसवध तक ही चित्रित किया गया है।

            * पाठ्यलेख, क्रमांक और नाम *


      पालाम भागवत पुराण सबसे प्राचीनतम सचित्र भागवत के साथसाथ इसमें भागवत का प्राचीन पाठ भी है। इसमें चित्र के पीछे के हिस्से में संस्कृत का पाठ्यक्रम दिया गया है। इसमें से कुछ पृष्ठ में संस्कृत के एक या दो श्लोक अधिक अथवा कम मिलतें है। यहां पर अघ्याय का काली स्याही में है जबकि अघ्याय की पुष्पिका और 'उवाच' लाल स्याही से लिखा गया है। प्राचीनतम पाठ के कारण इसका महत्त्व ओर बढ़ जाता हैं। कुछ चित्रों के पीछे संपूर्ण पाठ्यक्रम तो कुछ में केवल आधा श्लोक ही लिखा जाता।
       
       पालाम भागवत पुराण के आगे और पीछे दोनों की तरफ चित्र क्रमांक लिखे हुए हैं।
       जैसे कि चित्रक्रम १ से ४७ कृष्ण जन्म से लेकर वृंदावन गमन तक के है। 
       चित्रक्रम ६६ से १०६ अघासुर के अंत से लेकर यज्ञपत्नी के अनुग्रह के पाठक्रम चित्रित कीए गई है। 
       चित्रक्रम १६५ से २६० रुक्मिणीहरण से लेकर उषा विवाह के साथ पूर्ण होता है।
       चित्रक्रम २६८ से ३२४ पौण्ड्रक की कथा से प्रारंभ होकर वसुदेव के यज्ञ पर समाप्त होता हैं।           हालांकि अध्याय ८४ से ९० के चित्रप्रसंग नहीं है। यह अध्याय कृष्ण द्वारा देवकीपुत्रों को वापस लाना, सुभद्राहरण, मिथिला आगमन, वृकासुर वध, भृगु द्वारा त्रिदेव की परीक्षा, ब्राह्मण पुत्र की रक्षा और द्वारका नगरी का वर्णन है।



        पालाम भागवत में " ६ " इस तरह की आकृति भी है जो संभवतः कृष्ण को दर्शाता है।


       पालाम भागवत पुराण कम से कम चार नाम अंकित है :


      १. वाघ - वाघ नाम कृष्ण नीची ओर लिखा गया है इसलिए वाघ नाम कृष्ण के लिए प्रयुक्त हुआ है हालांकि की इसका कारण अज्ञात है।


      २. सा. नाना / ३. सा. मीथाराम - यह दोनों नाम भागवत के ही लेखक द्वारा लिखित है। इनके नाम का उपसर्ग सा. "साह" अथवा "सार्थवाह" की ओर इंगित करते हैं। संभवतः नाना और मीथाराम दोनों अविभक्त हिंदू कायस्थ परिवार के भाई थे और शायद यह भागवत उनके पास रहा होगा।


      ४. हीरबाई /हीर - पालाम भागवत के चित्रों में में हीरबाई नाम भी उल्लेखित है परंतु यह नाम बाकी नाम से भिन्न लेखक द्वारा लिखित है हालांकि चित्रसंख्या ७ के पीछे पाठ्यलेख के अंत में केवल 'हीर' लिखा।


                 * कृष्ण का चित्रांकन *


      पालाम भागवत मेंं कृष्ण चित्रांकन अति महत्त्वपूर्ण है। यहां चित्र ४ से २६ तक एक बालक के रूप में चित्रित किया गया है जो नाना प्रकार की लीला कर रहे हैं। 

      अघासुर वघ के समय कृष्ण पौगण्ड (कुमार) अवस्था में प्रवेश कर चूके थे इसलिए चित्र २७ से ७८ तक कुमारावस्था में चित्रित किया गया है जहां वे गोपी को लुभाते है, गौ चराते है और मथुरा में कंस को हराते है।
      चित्र ८० से ९५ में उन्हें यौवनावस्था मेंं प्रवेश करनेवाले योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है जो जरासंध से युद्ध करतें है, रुक्मिणीहरण करते है तथा स्यमंतक मणि को खोजते हैं।
     चित्र ९६ से १३१ में उन्हेंं विष्णु अवतार में चित्रित किया गया है जो नरकासुर, बाणासुर, जरासंध, शिशुपाल और शाल्व इत्यादि का अंत करते है।

               * पालाम भागवत चित्रप्रसंग *



               
       Adoration of Vishnu (No.2)
        (1.19, Kronos Collection)

     प्रस्तुत में पृथ्वी गाय का रूप लेकर ब्रह्मा को अपने कष्ट के बारे में बताती हैं। ब्रह्मा शिव, इन्द्र और कुबेर के साथ समुद्र तट पर विष्णु को जागृत करने के लिए पुरुषसूक्त का पाठ करते हैं। यहा पर इन्द्र को वैदिक मान्यता अनुसार अनेक आंखेंं चित्रित की गए हैं। यहां पृष्ठभूमि लाल हैं।
       


     
  Marriage of Vasudev and Devaki
       (1.29, Victoria and Albert museum)

        प्रस्तुत चित्र में शूरसेन के पुत्र वसुदेव का मथुरा के देवक की पुत्री देवकी के साथ हो रहे विवाह को चित्रित किया गया है। वसुदेव के सिर पर मुगट और कान में कुंडल है। देवकी के पीछे परिचारिका जलपात्र लेकर खडी है। एक ब्राह्मण यज्ञवेदी को आहुति दे रहे हैं। उनके पीछे उग्रसेन, उनका पुत्र कंस और देवक बैठे हैं। यज्ञशाला में तोरण, पुष्पहार और दीपमाला से सुशोभित किया है। यहां पृष्ठभूमि लाल रंग की है।



Kansa orders demons to harass member of Yadu lineage
  (2.1-2, Sainsbury Centre of Visual Arts)

प्रस्तुत चित्र दूसरे अध्याय का है जहाँ कंस अपने साथियों को यदुवंशियों को नष्ट करने को कहेता है। प्रस्तुत चित्र की पश्चातभूमि लाल और पीले रंग की है और चौकी के नीचे कलात्मक आसन बनाया गया है। यहा पर कंस वितर्क मुद्रा में बैठा है। यहां सेवक को तलवार पकडे और चमर चलाते चित्रित किया गया है। भागवत पाठ अनुसार राक्षस भी चित्र किये गए हैं। प्रथम कतार में प्रलंब (काला), बकासुर (सफेद), चाणूर (मल्ल), तृणावर्त (अग्नि जैसे बालवाला), धेनुकासुर (गधा) और अधासुर (बंदर जैसा) है जबकि दूसरी कतार में मुष्टिक (मल्ल), अरिष्टासुर (बैल), दिविन्द (बंदर), पूतना (बगुले जैसा मुख) और केशी (घोडा) है।


Vasudeva went toward Gokula
(3.48-49, Art Institute of Chicago)

प्रस्तुत चित्र में वसुदेव अपने पुत्र कृष्ण को सूतिकागृह से लेकर निकल जाते है और योगमाया के प्रभाव से सारे द्वारपाल सो जाते है। प्रस्तुत चित्र में वर्षा के कारण शेषनाग को कृष्ण का छत्र बने चित्रित किया गया है।


Vasudeva exchange krishna with Baby girl of Yasoda. (3.51-53,
 William college museum of art)

प्रस्तुत चित्र को सात भागों में विभाजित किया गया है। यहा पर वसुदेव नंद और यशोदा की पुत्री को लेकर अपने पुत्र कृष्ण को सुला देते हैं। यहा पर नंद भी सोते हुए चित्रित किये गए हैं|


Celebration of krishna's Birth
(Present location unknown)



Celebration of Krishna's Birth (No.13)
(5.5-8, Art Market)

प्रस्तुत चित्र कृष्ण के जन्मोत्सव का है जहां सूत, बंदी और मागध संगीत गा कर नृत्य कर रहे हैं। नंदबाबा ब्राह्मण को दान दे रहे हैं। यशोदा अपने पुत्र के साथ बैठीं है।


Nanda meet Vasudev at Mathura
(Backside No.17)
(5.19-28, Metropolitan museum of art, Also Hir is written)

नंद कंस को वार्षिक कर देने के लिए जब मथुरा जाते हैं तब वह वसुदेव से मिलतें है। प्रस्तुत चित्र कर के लिए लाए गये छकडे और सुंंदर नदी तैयार किए हैं।


Death of putana. (Location unknown)


Nanda touches krishna's head after the slaying of Putana (No.29 Upper)
(6.44, Rietberg Museum)

प्रस्तुत चित्र पूतनावध के बाद का है जहां नंदबाबा कृष्ण के बच जाने पर उसे गोद मेंं लेते हैं।


Krishna breaking Cart (No.33)
(7.6-11, Rijkmuseum)

प्रस्तुत चित्र शकटभंजन का है जहा पर एक बार कृष्ण अपने पांव से पूरा छकडा पलट देते हैं। गोप और गोपियों का आश्चर्य होता हैं लेकिन जब बालक कहते हैं कि यह कृष्ण ने किया तो कोई उनकी बात नहीं मानता।


 Brahmin perform Yagna ceremony ? (7.11-15, Present location unknown)

यह चित्र संभवत शकटभंजन के बाद का है जहा नंदबाबा कृष्ण के लिए शांतिपाठ करवाते हैं। यहां पर यशोदा को भी चित्रित किया गया है जो अपने पुत्र को पालना झूला रहीं हैं। यहां मकरध्वज भी है।


 Krishna defeat Trinavarta, The demon whirlwind (no. 35 ?)
 (7.20-25, Freer sackler gallery)

प्रस्तुत चित्र में कंस द्वारा भेजा गया असुर तृणावर्त बवंडर का रूप लेकर कृष्ण को उडा ले जाता हैं। यहा पर लाल, हरे और पीले रंग से बवंडर बनाया गया है। प्रस्तुत चित्र में विचलित गोपीयों को भी चित्रित किया गया है।


 Krishna slays Trinavarta
(7.26-28, Private collection)

प्रस्तुत चित्र में तब का है जब कृष्ण का भार न सहने के कारण और कृष्ण द्वारा गला दबाने के तृणावर्त की मृत्यु हो जाती है। यहां पर पुष्पवृक्ष को अद्भुत चित्रित किया गया है।


 Naming ceremony of Krishna
(No. 39)
(8.10-11, National gallery of Victoria)

प्रस्तुत चित्र कृष्ण के नामकरण का है। नंद गर्गाचार्य से कहकर गौशाला में छूपके से कृष्ण का नामकरण संस्कार करते हैं। प्रस्तुत चित्र के मध्य में नंद, गर्गमुनि, यशोदा, बलराम और कृष्ण लाल रंग की पृष्ठभूमि में है।जबकि गौ हरे रंग की पृष्ठभूमि में है।


Krishna first walking ?
(8.21-22, Present location unknown)

यह चित्र संभवत उस समय का है जब कृष्ण ने प्रथम बार चलना सीखा था। यहां लाल, पीले और हरे रंग की पृष्ठभूमि है।


Gopis complaint yasoda about krishna who steal butter
(8.29-30, Bharat kala bhawan)

प्रस्तुत चित्र में गोपी यशोदा से कहती है कि 
कृष्ण और उसके मित्र उसके घर से माखन चुराते है। वह कभी टोली या उखल पर चढ जाता हैं।


 Yasoda sees the universe in krishna's mouth (No.44)
(8.35-39, National Gallery of Canada)

प्रस्तुत चित्र में बलराम के कहने यशोदा कृष्ण का मुख देखती है कि कही उसने मिट्टी तो नहीं खायी पर कृष्ण मुख खोलने पर वह संपूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन करती हैं।


 Krishna distributes butter to monkeys at his own house.
(Backside No.35)
(9.8-9, Virginia museum of Fine Arts)

एक बार काम की वजह से यशोदा कृष्ण को दूध न दे पायी जिसके का कृष्ण ने मखन के मट्टके फोडकर बंदरों को मख्खन दे दिया। 


Yasoda tied Krishna
(9.13-17, Present location unknown)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण से तंग आगयी यशोदामैया कृष्ण के दोनों हाथों को ऊखल से बांध देती हैं।


 Krishna tied to a mortar
(9.22-23 & 10.1-3, Collection of subhash Kapoor, Art of Past gallery)

प्रस्तुत चित्र में ऊखल से बंधे कृष्ण यमलार्जुन के दोनों वृक्षों को उखाड़ फेंकते है।


Nanda releases Krishna after he uprooted arjuna trees
(11.1-6, Staatliche museen zu Berlin)

प्रस्तुत चित्र में यमलार्जुन वृक्ष गिर जाने पर नंद बाबा आकर कृष्ण को बंधन मुक्त करते हैं।


Krishna Bathing ?
(11.16-20, Bharat kala bhawan)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण-बलराम स्नान कर रहे हैं और नंद गोप भोजन ले रहे हैं।


 Upananda discuss to leave gokula 
(No. _7, Backside no. 47)
(11.21-30, Cleveland museum of art)

प्रस्तुत चित्र में उपनंद नंद को गोकुल छोडने के विषय पर चर्चा करते चित्रित किया गया है।


Krishna move to Vrindavana
(11.34, Bharat kala bhawan)

प्रस्तुत चित्र में गोकुलवासी गोकुल छोडकर वृदांवन प्रस्थान करते हैं।


 Krishna kill calf-demon vatsasura
(11.41-44, Art Market)

प्रस्तुत चित्र के उपरी भाग में कृष्ण सांढ बनकर बलराम लडते है और नीचले हिस्से में कृष्ण वत्सासुर का अंत करते हैं।


 Krishna kill Bakasura (no. 63)
(11.47-53, Los Angeles county museum of art)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण बकासुर का वध करते हैं।


Krishna playing games (no. 65)
(12.8-10, Los Angeles county museum of art)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण बगुले, हंस और मेढक की नकल कर बंदर की पूछ खिचते चित्रित किया गया है।


 Krishna rescuing his friends from aghasura (no. 66)
(12.26-33, San Diego museum of art)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण अघासुर का अंत करते हैं।


 Brahma see Divine forms of Krishna
(13.46-54, Los Angeles county museum of art)

प्रस्तुत तीन चित्र मे ब्रह्मा कृष्ण के मायामयी रुप का आराधन करते हैं।


Brahma bow to krishna (No. 76)
(13.62, collection of Anita spertus)


 Brahma praying to Krishna (no. 77)
(14.1-41, Philadelphia museum of art)


Krishna fluting (No. 81)
(15.1-3, Jagdish mittal museum)



 Perils in forest
(15.13 ? , San Diego museum of art)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण और बलराम बाघ देखकर भागते हैं।


 Friends with Tired Krishna (upper)
Shridama tell about Talavana (Bottom) 
(15.14-22, Cincinnati art museum) (no.84 ?)

प्रस्ततु चित्र में ऊपर की तरफ कृष्ण आराम कर रहे हैं। जबकि नीचे उनका मित्र श्रीदामा कृष्ण को तालवन के बारे में बताता है।


Krishna return to home, take bath and meal.
(15.88-86, Royal ontario museum)

प्रस्तुत चित्र गोधूली के समय का है।


Krishna alive his friends and cow.
(No. 65)
(15.47-52, Metropolitan museum of art)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण कालीय नाग के विष से मूर्छित अपने मित्रों को पुनःजीवित करते हैं।


Krishna subdued kaliya.
(16.23-26, Harvard Art museum)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण कालियनाग का मर्दन करते हैं।


 Yasoda hugs Krishna after he defeat Kaliya serpent.
(17.19, Art Market)

कालियमर्दन के बाद यशोदा कृष्ण को गले लगाती है।


 Dancing, fluting, and playing at forest. (No. 43 & 63 back)
(18.10-15, Harvard art museum)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण गाना, बजाना और नृत्य कर रहे हैं।


Krishna playing Blindmen's Buff, running and copying frog and peacock.
(18.14-15, Harvard art museum)

यहा पर गोपबालक आंखमिचौली, दौड और पक्षियों की नकल करना खेल रहे हैं।


 Krishna in Doli/Palanquin 
(18.15-16, Museum of fine arts, Boston)
(No.64 Backside)

कृष्ण कभी राजा खेल खेलते तो कभी पालकी बनाते।

Pralamba carries off Balarama
(18.24-25, private collection)



Balarama kill pralamba and fire at Vrindavana ?
 (18.28-32 to 19.1-2, Art Market)

प्रस्तुत चित्र के एक भाग में प्रलंब की मृत्यु होतीं है और दूसरे भाग में वृंदावन में आग लगी है।


 Krishna at munjavana ? (No.79)
(19.1-6, Art Market)


Fire at Munjavana ?
(19.7, Rietberg museum) 


 Cattle at Vrindavana ? (No. 96)
(19.15-16 ? , Art market)


Krishna enjoy rainy season
(No.101 corner, Backside no. _9)
(20.25-31, Virginia museum of art)

प्रस्तुत दो चित्र वर्षा वर्णन का है।


Krishna enjoy Sharad season (No.102, 20.32-49, 
San Diego museum of art)

Krishna return to vrindavana
(No. 103, 21.1-6, Location Unknown)


 Gopis workship goddess katyayani
(22.1-8, Fralin museum of art)
(Backside. No _9) 

प्रस्तुत चित्र में गोपीयां कात्यायनी देवी से कृष्ण मांगने के लिए व्रत करती है।


 Cowherds ask for food to krishna
(22.29-38 to 23.1-4, British museum, No. 106)

प्रस्तुत चित्र में गोपबालक कृष्ण से भोजन मांगते हैं।


Indra, Airavata and kamadhenu workship Krishna
(17.1-3, Harvard art museum)

 प्रस्तुत चित्र में इन्द्र, ऐरावत और कामधेनु कृष्ण की पूजा करते हैं।


 Gopis search for Krishna
(30.1-13, Minneapolis institute of art)

गोपी अद्रश्य कृष्ण को खोजती है।


Krishna appear before gopis.
(32.1-3, Brooklyn museum)


Krishna talk with gopis
(32.11-22 to 33.1, Harvard art museum)


 Rasamandala
(33.1-22, Philadelphia museum of art)

प्रस्तुत चित्र रासमण्डल का है।


Jala-krida of krishna and gopis
(33.23-24, Cleveland museum of art)

प्रस्तुत चित्र जलक्रीड़ा का है


Nanda and Boa constrictor
(34.1-9, Bharat kala bhawan)


 Krishna kill yaksha shankachuda who try to abduct gopis
(34.24-32, Art Market)

प्रस्ततु चित्र में कृष्ण शंखचूड़ का अंत करते हैं।

Kansa interviews Narada
(36.16-18, Collection of john Bransten)



Kansa meeting with Akrura
(36.28-40, Harvard art museum)

कंस अक्रूर को वृदांवन भेजते हैं।


Krishna defeat Vyomasura.
(37.29-34, National museum New Delhi)

कृष्ण व्योमासुर का वध करते हैं।


Akrura visit to gokula.
(38.38-43, Freer gallery)

प्रस्तुत चित्र में अक्रूर नंदबाबा से मिलते हैं।

 Krishna went to Mathura
(39.32-36, Royal ontario museum)

कृष्ण वृदांवन छोड़कर मथुरा जाते है।


Akrura's mysterious vision during bath. (39.38-43, Jagdish mittal museum)

प्रस्तुत चित्र अक्रूर के स्नान का है जहा वह कृष्ण को विष्णु रुप में देखते हैं।


Krishna enter in Mathura
(41.24-31, Philadelphia museum of art)

कृष्ण का मथुरा प्रवेश


 Tailor offer clothes to Krishna
(41.40-43, Art Market)

कृष्ण का दर्जी से वस्त्र लेना।


 Sudama offer flowers to Krishna
(41.44-52, Kanoria collection)

सुदामा द्वारा कृष्ण को पुष्प की भेट।


Krishna broke Bow and defeat the soldiers. (42.15-21, Art Market)

कृष्ण द्वारा धनुष और उसके रक्षकों का नाश।


Krishna kill Kuvalayapida
(43.1-14, Jagdish mittal museum)

कुवलयापीड हाथी का वध


Wrestler's arena at Mathura
(44.1-5, Morgan library museum)


Coronation of ugrasena
(45.12-16, Art Market)

उग्रसेन का राज्याभिषेक


Nanda bids farewell to krishna
(45.20-25, National museum New Delhi)

नंदबाबा की विदाई


 Krishna and Balarama teach by sage Sandipani. (45.31-36, University of Michigan museum of Art)

सांदीपनि द्वारा कृष्ण-बलराम को शिक्षा देना।


  Krishna kill shankhasura and he visit to Yama to for son of sage sandipani (No. 166)
(45.36-50, Art Market)

शंखासुर को मारकर सांदीपनि के पुत्र को लौटाना।


 Gopis conversation with Uddhava.
(47.50, Sarabhai foundation)

उद्धव गोपी संवाद


Krishna visit Kubja.
(48.1-11, Musee guimet)

कुब्जा द्वारा कृष्ण की सेवा।


Akrura visit kunti and pandavas at Hastinapura. (49.5-15, National museum, Tokayo)

अक्रूर का कुंती, विदुर और पांडवो से मिलना।


 Akrura return to Mathura after his journey of Hastinapur. (49.30-31, Art gallery of new south Wales)

अक्रूर कृष्ण से मिलते हैं।


Jarasandha departure for Mathura
(50.1-4, Morgan library museum)


Seige of Mathura
(50.5-10, Ackland art museum)


Krishna and Balarama went to fight with Jarasandha. (No. 153 ? )
 (50.11-16, Rietberg museum)


Krishna and Balarama defeat army of Jarasandha  (No. 154 ? )
(50.24-34, Harvard art museum)

प्रस्तुत तीन चित्र में कृष्ण जरासंध से युद्ध करते हैं।


Bhishmaka welcome Krishna?
(53.28-37, Art Market)

कृष्ण का कुंडीनपुर आना।


Rukmini pray to Parvati and Ganesha. (53.39-50, collection of Ludwig habighorst)

रुक्मिणी की पार्वती पूजा।


Krishna and Balarama at kundinpura to abduct rukmini. (No.165)
(53.45-47, Seattle art museum)


Krishna Battle with army of shisupala. (No.166)
(54.1-9, Ostasiatiska museet)


 Balarama defeat army of Rukmi ?
(54.23-33, present location unknown)

Prasanajita goes hunting with jewel
(56.10-13, Art Market)

Krishna presents jewel syamantaka to satrajit.
(56.38, present location unknown)


Satadhanva kill Satrajit. (No. 209)
(57.1-8, Freer sackler gallery)

शतधन्वा द्वारा सत्राजित की हत्या।


Krishna kill satadhanva
(57.19-27, Ostasiatiska museet)

कृष्ण द्वारा शतधन्वा की हत्या ।


 Akrura show Syamantaka jewel in assembly of Mathura.
 (57.42, Victoria and Albert museum)

अक्रूर द्वारा स्यमंतक मणि लोटाना।

 Krishna on hunting with arjuna
(58.13-17)


Kings fight with Arjuna after krishna's marriage with Satya. (No.118?)
(58.43-45, Crocker art museum)

कृष्ण द्वारा सत्या के हरण बाद शत्रु राजाओं से युद्ध ।


 Marriage of Krishna with Bhadra.
(58.56, National museum, new Delhi)

कृष्ण का भद्रा के साथ विवाह ।


Krishna come at pragajyotisapura
(59.1-5, San Diego museum of art)


Demon Mura fight with Krishna
(No. 224)
(59.6-8, Asia society)


Krishna kill Mura.
(59.9-11, Kronos collection)


 Krishna battle with seven sons of mura. (59.12-13, Art Market)


Krishna defeat seven sons of Mura.
(59.14-15, Kenneth Robbins collection)


Krishna battle with elephant army of Narakasura.
 (59.14-18, Metropolitan museum of art)


Krishna defeat elephant army of Naraka. (59.18-20, private collection)

प्रस्तुत चित्रशृंखला में कृष्ण और सत्यभामा प्रागज्योतिषपुर पर आक्रमण कर नरकासुर और उसके सैन्य का नाश करते हैं।

 Krishna kill Narakasura ?
(59.21-23)



Earth goddess return stolen goods.
(59.23-31, Philadelphia museum of art)

नरकासुर की माता पृथ्वी और उसका भगदत्त वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल लोटाते है।


 Krishna with his new wives return to Dwarka. (No. 234)
(59.36-37, Metropolitan museum of art)

कृष्ण द्वारका को प्रस्थान करतें है।


 Krishna return ear-rings to Aditi.
(No. 235)
(59.38, Musee guimet)

कृष्ण देवमाता अदिति को कुंडल लोटाते है।


Krishna uprooted parijata tree for satyabhama (No. 236, 59.39, Los Angeles county museum of art)

कृष्ण सत्यभामा के लिए पारिजात का वृक्ष उखाडना ।


 Krishna is serve by his 16,100 Wives. (59.45, rietberg museum)

सोलह हजार पत्नियों के साथ कृष्ण ।


Rukmini conversation with Krishna (60, present location unknown)
(No. 240)


Pradhyumna marriage with Rukmavati. (61.20-24, Cleveland museum of art)

प्रद्युम्न और रुक्मावती का विवाह ।


Marriage of Aniruddha with rocana. (No. 285)
(61.25, British museum)

प्रस्तुत चित्र अनिरुद्ध और रोचना के विवाह का है। हालांकि चित्र पर इसे सांब का विवाह लिखा गया है।


Aniruddha marriage with rocana.
(61.26, British museum)

अनिरुद्ध रोचना का विवाह ।

Balarama kill rukmi (no. 248)
(61.36, private collection)


 Banasura come at usha's palace where he found aniruddha.
(63.27-33, Art Market)
(No. 251?)

बाणासुर अपनी पुत्री उषा के महल में छूपे अनिरुद्ध पर आक्रमण करते हैं।


 Banasura caught Aniruddha by Nagapash. (No.252)
(63.34-35, Art Market)

बाणासुर नागपाश से अनिरुद्ध को बांध देते हैं।


 Shiva defend Banasura and fight with Krishna. (63.8-9, Bharat kala bhawan, Varanasi)

प्रस्तुत चित्र में बाणासुर की मदद के लिए शिव और कार्तिकेय आते है।


Krishna defeat army of Banasura.
(63.10-16, Art institute of Chicago)

शिव, कार्तिकेय और बाणासुर सात्यकि, कृष्ण और बलराम से युद्ध करते हैं।


Krishna encounter with kotara
(No. 257)
(63.20-21, Harvard art museum)

प्रस्तुत चित्र में बाणासुर की धर्ममाता कोटरा देवी युद्धक्षेत्र में आती है जिससे कृष्ण अपना मुख फेर लेते हैं।


Farewell of Usha by his father Banasura. (No. 259)
(63.50-51, Seattle art museum)

प्रस्तुत चित्र में बाणासुर अपनी पुत्री को विदा करते हैं।


Krishna return to Dwarka.
(No. 260)
(63.52-53, British museum)

कृष्ण अनिरुद्ध-उषा के साथ द्वारका पधारते है।

Balarama drag river yamuna.
(65.22-28, National museum, new Delhi)

प्रस्तुत चित्र में उन्मत्त बलराम यमुना को खीचते है।


 Messenger of Paundraka come to invite krishna for Battle (No. 268)
(66.4-10, Fine arts museums of San Francisco)

पौण्ड्रक का दूत कृष्ण को युद्ध के लिए आमंत्रित करता है।


 Monkey Dvinda prank with Balarama. (No. 271)

वानर दिविन्द गोपियों को परेशान करता है।


Balarama drag Hastinapur 
(no. 277)
(68.40-43, Art Market)

बलराम हस्तिनापुर को गंगा में गिराने का प्रयत्न करते हैं कि कौरव आकर उनसे क्षमायाचना करते हैं।


 Daily routine of krishna.
(No. 280)
(70.1-15, British museum)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण के दैनिक जीवन को चित्रित किया गया है।


Krishna went to indraprastha with his family. (No. _25)
(71.11-22, Ar Market)

कृष्ण अपने परिवार और सैन्य के साथ इन्द्रप्रस्थ की यात्रा करते हैं।


Pandavas welcome krishna.
(71.23-38, Metropolitan museum of art)
(No. 286?)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण इन्द्रप्रस्थ पधारते है और युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव से मिलते हैं।


 Krishna conversation with yudhisthira on rajasuya Yagna. (No.288)

प्रस्तुत चित्र में कृष्ण युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ के विषय पर चर्चा करते हैं।


Bhima slays Jarasandha. (No. 292)
(72.41-47, Metropolitan museum of art)

प्रस्तुत चित्र में भीम जरासंध को चीर डालते हैं।


 Yudhisthira went for his avabhurta snan. (No. 299)
(75.11-19, Rietberg museum)

प्रस्तुत चित्र में युधिष्ठिर गंगा किनारे अवभृत स्नान के लिए गंगा जाते है।
Krishna conversation with rishis.
(84.1-8, Art Market, No. 324)

प्रस्तुत चित्र कुरुक्षेत्र के सूर्यग्रहण का है जहाँ कृष्ण कुंती, गांधारी, राजा और ऋषियों से मिलते है।

*      *      *

Unidentified Episode


 Krishna in Forest.

कृष्ण वृदांवन में ।


 Battle scene
(Harvard art museum)


Battle scene
(Kronos collection)


Battle scene
(Jagdish mittal museum)


 Battle scene
(Jagdish goenka collection)

युद्ध दृश्य

Krishna recliening  with gopis
(Denver art museum)


Krishna play with cows (location unknown)